क़ुतुब मीनार की लम्बाई | Qutub Minar Ki Lambai
Qutub Minar Ki Lambai : प्रतियोगी परीक्षाओं के अन्तर्गत सामान्य ज्ञान से सम्बंधित कुछ ऐसे प्रश्न होते हैं जिनको विभिन्न परीक्षाओं में बार-बार पूछे जाते हैं। सामान्य ज्ञान के अन्तर्गत आने वाला ऐसा ही एक महत्वपूर्ण प्रश्न है दुनिया का सबसे ऊंची मीनार, क़ुतुब मीनार की लम्बाई को लेकर। परीक्षा चाहे रेलवे की हो, पुलिस की हो या फिर यूपीएससी की इन सभी परीक्षाओं में यह प्रश्न अधिकता से पुछे गये है। यदि आप भी जानना चाहते है कि दुनिया की सबसे ऊंची मीनार, क़ुतुब मीनार की लम्बाई कितनी है और इसे किसने बनवाया था तथा यह कहां पर स्थित है तो अन्त तक पढ़ते रहिए नई उड़ान का यह खास लेख। क्यों कि आज के इस खास लेख में हम आपके साथ Qutub Minar से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारीयों को शेयर करने वाला हूँ। तो चलिए बिना किसी देरी के विस्तार से जानते है दुनिया की सबसे ऊंची मीनार, Qutub Minar के बारे में और सबसे पहले बात कर लेते हैं क़ुतुब मीनार की लम्बाई कितनी है जैसे सवालों के साथ
क़ुतुब मीनार की लम्बाई कितनी है | qutub minar ki lambai kitni hai
नीचें से चौडी़ तथा उपर की ओर सकरी पाँच मंजिला संरचना वाली दुनिया की सबसे ऊँची मीनारों मे से एक क़ुतुब मीनार की लम्बाई 72.5 मीटर है। वहीं दुसरी तरफ अगर इसे फीट मे देखा जाये तो इसकी कुल लम्बाई 237.86 फीट है। इस मीनार का आधार व्यास 14.32 मीटर चौडा़ है जो शिखर पर 2.75 मीटर तक रह जाती है। Qutub Minar की शिखर तक पहुंचने में 379 सीढियों को चढ़ना पडता है।
दिल्ली की महरौली मे स्थित है दुनिया की सबसे ऊँची मीनारों मे से एक क़ुतुब मीनार
ईटों से बनी हुई दुनिया की सबसे ऊँची मीनार, क़ुतुब मीनार देश की राजधानी दिल्ली के दक्षिणी भाग महरौली मे स्थित हैं। महरौली मे qutub minar के अतिरिक्त दिल्ली का लौह स्तंभ, अलाई दरवाजा तथा अलाई मीनार जैसे देश की कई और भव्य तथा ऐतिहासिक इमारतें मौजूद हैं।
कुतुबुद्दीन ऐबक ने रखीं थी क़ुतुब मीनार की नींव
क़ुतुब मीनार की नींव अफगानिस्तान में स्थित ‘जाम की मीनार’ से प्रेरित होकर कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपने शासन काल की शुरुआती दिनों में यानी 1199 ईसवी मे रखा था परंतु जल्द ही इसकी मृत्यु हो जाने के कारण यह क़ुतुब मीनार का पूर्ण रूप से निर्माण कराने में असफल रहा था। कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली सल्तनत का संस्थापक तथा गुलाम वंस का पहला शासक था। यह मोहम्मद गौरी का गुलाम था जिसकों गौरी ने सैनिक सेवा के लिए खरीदा था। कुतुबुद्दीन ऐबक की सैन्य क्षमता को देखते हुए मोहम्मद गौरी ने इसे अपने सैन्य अभियानों के लिए सहायक पद पर रखा। देखते ही देखते यह मोहम्मद गौरी का काफी खास बनते हुए दिल्ली की गद्दी तक पहुंच गया।
इल्तुतमिश तथा फीरोजशाह तुगलक ने मिलकर कराया था क़ुतुब मीनार का बाकी निर्माण कार्य
कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के बाद उसका उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने क़ुतुब मीनार के निर्माण कार्य को आगे बढ़ाया परन्तु वह पांच मंजिला Qutub Minar के तीन मंजिला तक ही निर्माण कराने में सफल हो पाया। क़ुतुब मीनार के बाकी का निर्माण कार्य फीरोजशाह तुगलक ने पूरा कराया।
मीनार के नामांकन को लेकर इतिहासकारो मे मतभेद
क़ुतुब मीनार के नाम को लेकर इतिहासकारो मे काफी मतभेद है कुछ इतिहासकारो का मानना है कि क़ुतुब मीनार का नाम कुतुबुद्दीन ऐबक के नाम पर पडा था क्यों कि इस मीनार का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक के द्धारा ही किया गया था। जबकि कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इसका नाम ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार के नाम पर पडा था क्यों कि कुतुबुद्दीन ऐबक ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार का शिष्य था।
Qutub minar को लेकर गूगल पर अक्सर पूछे जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण सवाल और उसके जवाब
Qutub Minar की लंबाई 72.5 मीटर या 237.86 फीट है।
A. यह पांच मंजिला मीनार है।
A. देश की राजधानी दिल्ली के दक्षिणी भाग महरौली
A. कुतुबुद्दीन ऐबक, इल्तुतमिश तथा फीरोजशाह तुगलक ने
A. साल 1199 में
अंतिम शब्द
दोस्तों उम्मीद करता हूं कि आपने दुनिया के सबसे ऊंची मीनारों मे एक क़ुतुब मीनार के बारे में अच्छे से जान गये होंगे। यदि अभी भी आपके मन मे qutub minar से सम्बंधित कोई प्रश्न है तो आप नीचें दिये गये कमेंट बॉक्स मे लिख सकते है। ऐसे ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए नई उड़ान के साथ जुड़े रहे तथा इस लेख को नीचे दिए गए विभिन्न सोशल मीडिया Links के माध्यम से अपने दोस्तों के साथ शेयर अवश्य करें।