शनि या वृहस्पति कौन है सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह | sabse bada grah kaun sa hai
सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह : यू तो हमारे सौरमंडल मे कुल आठ ग्रह मौजूद है जो अपनी आकृति, आकार तथा रोचक घटनाओं की वजह से एक दुसरे से काफी भिन्न होते है। सौरमंडल मे उपस्थित इन ग्रहों की अपनी कुछ अलग-अलग विशेषताएं है जो उन्हें एक विशेष और आकर्षण ग्रह बनाती हैं। ग्रहों में ऐसी ही एक महत्वपूर्ण विशेषता है उनकी आकृति और आकार की। ऐसे में नई उडा़न के आज के इस लेख में हम आपके साथ सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह का दर्जा रखने वाले ग्रह के बारे में चर्चा करेंगे और जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर वह कौन सा ऐसा ग्रह है जो हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। साथ ही साथ हम इस ग्रह से जुड़ी और भी अनेकों प्रकार की जानकारियों के बारे में वैज्ञानिक विश्लेषण करेंगे।
वृहस्पति है सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह | sabse bada grah kaun sa hai
खगोल विज्ञान के अनुसार सौरमंडल में उपस्थित सभी ग्रहों की तुलना वृहस्पति के पास सबसे ज्यादा द्रव्यमान उपस्थित है जिसके कारण इसे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह होने का दर्जा प्राप्त है। इस ग्रह की विशालकाय का अन्दाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यदि हम वृहस्पति ग्रह की तुलना हमारी पृथ्वी जैसे ग्रह से करे तो इसमें हमारी पृथ्वी जैसें आकर के लगभग 1300 से भी ज्यादा ग्रह समा सकते है।
हिलियम के साथ मुख्य रूप से हाइड्रोजन से मिलकर बना हुआ है सौरमंडल का सबसे बडा़ ग्रह वृहस्पति :
वृहस्पति गैस तथा द्रव से मिलकर बना तथा सौरमंडल मे उपस्थित बाकी सभी ग्रहों की तुलना में सबसे तेजी से घुमता हुआ एक प्रकार का गोला है। इसकी संरचना की बात की जाये तो यह एक चौथाई हिलियम के साथ मुख्य रूप से हाइड्रोजन से मिलकर बना है। इसका वायुमंडल हाइड्रोजन तथा हीलियम से मिलकर बना है जिसमें अमोनिया और मीथेन गैस भी काफी मात्रा में उपस्थित हैं। जो हजारों किलोमीटर गहराई तक फैला हुआ है।
लगभग दस घंटों में ही अपनी धूरी पर घूमते हुए पूरी कर लेता है एक चक्कर :
विशालकाय होने के बावजूद वृहस्पति सौरमंडल मे उपस्थित बाकी ग्रहों की तुलना में अपनी धुरी पर सबसे तेज गति से चक्कर लगाता है। खगोल विज्ञान के अनुसार वृहस्पति अपने अक्ष पर 35532 किमी./घंटे की तेज गति से घूमते हुए मात्र दस (10) घंटों में ही एक चक्कर पूरी कर लेता है। यही कारण है कि बृहस्पतिवार ग्रह का एक दिन (दिन और रात्रि को मिला कर) मात्र दस घंटों का ही होता है।
सूर्य से दूरी के मामले में वृहस्पति है पाचवाँ ग्रह :
हल्के पीले रंग का दिखाई देने वाला वृहस्पति ग्रह जिसे अग्रेंजी भाषा में जुपिटर (Jupiter) के नाम से जाना जाता है सूर्य से दूरी के अनुसार पाचवाँ ग्रह है जो मंगल तथा शनि ग्रह के बीच मे स्थित है। सूर्य से इस ग्रह की न्यूनतम दूरी लगभग 74 करोड़ 05 लाख 20 हजार जबकि इसकी अधिकतम दूरी 81 करोड़ 66 लाख 20 हजार किलोमीटर है। यह ग्रह अपने पड़ोसी ग्रह शनि से लगभग 64 करोड़ 62 लाख 70 हजार किलोमीटर दूर है।
पृथ्वी के कुल आकार से भी बडा़ धब्बा है इस ग्रह की एक खास विशेषता :
सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह वृहस्पति की सतह की सबसे अनोखी विशेषताएं इसकी सतह पर उपस्थिति एक विशालकाय लाल रंग की धब्बा है जो वास्तव में एक लंबा तथा अंडाकार क्षेत्र है। वृहस्पति की सतह पर उपस्थित यह धब्बा इतना विशाल है कि इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यदि इस धब्बे के अन्दर बराबर से रखी हुई दो पृथ्वीयों को डाला जाए तो यह आसानी से समा सकती है। वृहस्पति पर मौजूद यह विशालकाय धब्बा वास्तव में वृहस्पति ग्रह पर वर्षों से चल रही एक भीषण तुफान है जो इतने विशालकाय ग्रह के सूर्य के सबसे तीब्र गति से परिक्रमा के फलस्वरूप उत्पन्न हुए है।
सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह वृहस्पति से सम्बंधित गूगल पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल और उनके जवाब
A. सौरमंडल में उपस्थित सभी ग्रहों की तुलना वृहस्पति के पास सबसे ज्यादा द्रव्यमान उपस्थित है जिसके कारण इसे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह होने का दर्जा प्राप्त है।
A. मंगल तथा शनि ग्रह वृहस्पति के पडो़सी ग्रह है।
A. वृहस्पति की सूर्य की न्यूनतम दूरी लगभग 74 करोड़ 05 लाख 20 हजार जबकि इसकी अधिकतम दूरी 81 करोड़ 66 लाख 20 हजार किलोमीटर है।
A. बृहस्पति का अपनी धुरी पर परिक्रमण काल लगभग दस घंटे का है जो वह 35532 किमी./घंटे की तेज गति के साथ इसे पूरी करता है।
A. अमोनिया के बादलों से घिरा हुआ, तीव्र रेडियो तरंगे प्रसारित करता साथ ही पृथ्वी की तरह कोई ठोस सतह न होने के कारण इस ग्रह पर वास्तव में जीवन लगभग असंभव है। परन्तु इसके इसके उपग्रह पर जीवन संभव हो सकता है।
चलते-चलते :
उम्मीद है आपको नई उडा़न का आज का यह खास लेख सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह काफी पसंद आया होगा। यदि अभी भी आप के मन इस लेख से सम्बंधित कोई प्रश्न है तो मुझे नीचें कमेंट बॉक्स में अवश्य बतायें और हां इस लेख को शेयर करना ना भूलें।